सलाम हो खुदा के दोस्त और इस के प्यारे पर सलाम हो, ख़ुदा के
सच्चे दोस्त और इसके चुने हुए पर सलाम हो, ख़ुदा के पसंदीदः और
इस के पसंदीदः फरजंद पर सलाम हो, हुसैन पर जो सितम दीदा
शहीद हैं, सलाम हो हुसैन पर जो मुश्किलों में पड़े, और ईन
की शहादत पर आंसू बहे! ऐ माबूद! मैं गवाह हूँ के वो तेरे
दोस्त और तेरे दोस्त के फ़र्ज़न्द, तेरे पसंदीदः और तेरे
पसंदीदः के फ़र्ज़न्द हैं, जिन्होंने तुझ से इज्ज़त पायी,
तुने इन्हें शहादत की इज्ज़त दी, ईन को खुश्बख्ती नसीब की,
और इन्हें पाक घराने में पैदाइश की खूबी दी, तुने क़रार
दिया इन्हीं सरदारों में सरदार, पेशवाओं में पेशवा,
मुजाहिदों में मुजाहिद और इन्हें नबियों के विरसे इनायत किये, तुने
क़रार दिया इनको औसिया में से अपनी मख्लूकात पर हुज्जत, पस
इन्होंने तबलीग़ का हक़ अदा किया, बेहतरीन खैरख्वाही की,
और तेरी ख़ातिर अपनी जाँ कुर्बान की ताकि तेरे बन्दों को
निजात दिलाएं नादानी और गुमराही की परेशानियों से जबकि इनपर चढ़ आये
वो जो दुन्या पर रीझ गए, इन्होंने अपनी जानें मामूली चीज़ों के
लिए बेच दीं और अपनी अआखेरत के लिए घाटे का सौदा ख़रीदा,
इन्होंने सरकशी और लालच के पीछे चल पड़े, इन्होंने तुझे गज़बनाक
और तेरे नबी को नाराज़ किया, इन्होंने तेरे बन्दे में से
ईन की मानी जो ज़िददी और बेईमान थे के अपने गुनाहों का बोझ
लेकर जहन्नम की तरफ चले गए, पस हुसैन (अ:स) ईन से तेरे लिए
लड़े जमकर होशमंदी के साथ यहाँ तक की तेरी फरमाबरदारी करने
पर इनका खून बहाया गया और इनके अहले हरम को लूटा गया! ऐ
माबूद! लानत कर ईन जालिमों पर सख्ती के साथ और अज़ाब दे इनको
दर्दनाक अज़ाब! सलाम हो आप पर ऐ रसूले खुदा के फ़र्ज़न्द,
सलाम हो आप पर ऐ सरदारे औसिया के फ़र्ज़न्द, मैं गवाह हूँ
के आप खुदा के अमीन और इसके अमीन के फ़र्ज़न्द हैं, और आप
नेक्बखती में ज़िंदा रहे. काबिले तारीफ हाल में गुज़रे और
वफात पाई वतन से दूर के आप सितम रसीदः शहीद हैं! मैं गवाह हूँ
के खुदा आप को जज़ा देगा जिस का इस ने वादा किया, तबाह होगा
वो जिस ने आप का साथ छोड़ा और अज़ाब होगा इसे जिसने आप को
क़त्ल किया! मैं गवाह देता हूँ के आप ने खुदा की दी हुई
ज़िम्मेदारी निभायी, आप ने इस की राह में जिहाद किया, हत्ता
के आप शहीद हो गए, पस खुदा लानत करे जिस ने आप को क़त्ल
किया, खुदा लानत करे जिस ने आप पर ज़ुल्म किया, और ख़ुदा
लानत करे इस कौम पर जिस ने यह वाकये शहादत सुना तो इस पर
खुशी ज़ाहिर की! ऐ माबूद मैं तुझे गवाह बनाता हूँ के इनके
दोस्त का दोस्त और इनके दुश्मन का दुश्मन हूँ, मेरे माँ बाप
कुर्बान आप पर ऐ फ़रज़न्दे रसूल,! ख़ुदा! मैं गवाह हूँ की
आप रहे नूर की शक्ल में इज्ज़तदार पुश्तों और पाकतर रहमों में
की जाहिलियत की निजासतों ने आपको आलूदह किया और वही इसने
अपने बेहंगम लिबास आप को पहनाये हैं! मैं गवाह देता हूँ के
आप पायाहाये दीन में से हैं, मुसलमानों के सरदारों में
हैं, और मोमिनों की पनाहगाह हैं, मैं गवाह हूँ के आप इमाम
हैं, नेक, पाक, पसंदीदः पाक रहबर, राह-याफ्ता और मैं गवाह हूँ
की जो इमाम आप की औलाद में से हुए हैं वोह परहेज़गारी के तर्जुमान हिदायत
के निशान मुहकमतर सिलसिला और दुन्या वालों पर ख़ुदा की
दलील वा हुज्जत हैं! मैं गवाह हूँ की आप का और आप के
बुजुर्गों का मानने वला अपने दीनी अहकाम और अमल की जज़ा
पर यक़ीन रखने वाला हूँ, मेरा दिल आप के दिल के साथ पैवस्त
है, मेरा मामला आप के मामले के ताबे, और मेरी मदद आप के
लिए हाज़िर है, हत्ता की खुदा आप को इज़्न-क़याम दे, पस आप
के साथ हूँ, आप के साथ, न की आप के दुश्मन के साथ, ख़ुदा
की रहमतें हों आप पर और आपकी पाक रूहों पर आप के जिस्मों
पर आप के हाज़िर पर, आप के ग़येब पर आप के ज़ाहिर और आप के
बातिन पर ऐसा ही हो जहानों के परवरदिगार!!
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मद वा आले मुहम्मद
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