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आशूरा (10 मुहर्रम)- ईमाम हुसैन (अ:स) |
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बिस्मिल्ला हिर रहमा नीर रहीम शोक की रात - जागते रहे और इमाम हुसैन और उनके परिवार और साथियों पर ही अत्याचार पर मसायब (त्रासदियों) को सुने 4 रक्-अत नमाज़ 2-2 रक्-अत करके पढ़ें, जिसमे हर रक्-अत में एक बार अल-हम्द की सूरा और 50 बार सूरा क़ुल (सूरा इखलास) पढ़ें तहज्जुद की नमाज़ पढ़ें और ज़्यारते इमाम हुसैन (अ:स) पढ़ें अमाल शबे-आशूर
1. किताब मिस्बाह में हज़रत
इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ:स) से मन्कूल है की जो कोई भी शबे आशूर में
चार रकअत नमाज़ बा दो सलाम यानी दो-दो रक्अत करके पढ़े, और हर रक्अत
में अल्हम्द के बाद 50 मर्तबा सूरा कुल्हुवाल्लाहो अहद पढ़े तो उस
के पचास बरस के आगे और पीछे किये गए गुनाह बख्शे जायेंगे!
2. दूसरी रिवायत में है की
जो कोई शबे आशूर में चार रक्अत नमाज़ दो-दो रक्अत करके पढ़े जिसमे
पहली रक्अत में सूरा अल्हम्द के बाद दस मर्तबा आयतल कुर्सी, दूसरी
रक्अत में सुरे अल्हम्द के बाद दस बार क़ुल हुवाल्लाहो अहद, तीसरी
रक्अत में सुरे अल्हम्द के बाद सुरे क़ुल अ'उज़ो बे रब्बिल फ़लक और
चौथी रक्अत में सुरे अल्हम्द के बाद क़ुल अ उज़ो बेरब्बिन नास पढ़े!
3. नमाज़ ख़तम होने के बाद
100 मर्तबा क़ुल हुवाल्लाहो अहद पढ़े तो उस को जन्नत में हज़ार हज़ार
कस्र दिए जायेंगे!
4. और बसनद मोतबर इमाम जाफर
सादिक़ (अ:स) से मन्कूल है की जो कोई भी शबे आशूर में उन हज़रत की
क़ब्र की पास से से ज़्यारत करेगा वोह कयामत के दिन ज़ुमर-ए-शोहदाए
कर्बला में बा-हैय्येते खून आलूद मशहूर होगा! और जो शख्स शबे आशूरा
और रोज़े आशूरा में ज़्यारत करेगा, ऐसा होगा की वोह रु-बरु हज़रत के
शहीद हुआ!
आशूर का दिन 1. भोजन और पानी से देर दोपहर तक दूर रहे (यह एक रोज़ा नहीं है, इसलिए इसे रोज़ा अर्थात उपवास की नियत से न रखें) 2. अपना सारा ध्यान इस बड़े दिन की कुर्बानी पर रखें और बेवजह की हंसी और किसी ही प्रकार की अनावश्यक चर्चाओं से दूर रहे 3. इस दिन जितनी बार हो सके मुहम्मद (स:अ:व:व) और आले मुहम्मद (अ:स) पर सलवात पढ़ें 4. जब अपने किसी मोमिन भाई से मिलें तो उन्हें इस प्रकार शोक प्रकट करें, " अल्लाह हमारे और आपके लिए जज़ा दे, हमारे हुसैन (अ:स) के दुःख के लिए" और यह फिर यह कहें, " अल्लाह हमें और आपको उन लोगों के साथ रखे जिन्होंने इमाम हुसैन (अ:स) की मदद की, और उनके निर्देशों का पालन किया, और हमें उनके प्रतिनिधी और उनके निर्देशित इमाम (इमाम मेहदी अ:स) के मानने वालों में रख़, और मुहम्मद (स:अ:व:व) और आले मुहम्मद (अ:स) पर सलवात भेजें" 5. सूरा इखलास पढ़ें - 1000 बार या फिर जितनी बार मुमकिन हो (यह कुरान की 112वीं सूरा है) 6. जितनी बार मुमकिन हो पढ़ें, " अल्लाहुमल-अ’न क़तालातल हुसैन व औलादिही व अस्हाबिही " 7. जितनी बार मुमकिन हो पढ़ें, " काश अगर मै आपके साथ होता, तो इस महान बलिदान में आपका साथ देता " या लै'तनी कुन्तु मा'अकुम फा'फूज़ा फौज़ान अज़ीमा" |