सलाम हो ख़लक़े
ख़ुदा में चुने रोज़गार नबी आदम (अ:स)
पर
सलाम हो
अल्लाह के वली
और इस के
नेक बन्दे शीश (अ:स)
पर
सलाम हो ख़ुदा
के दलीलों के
मज़हर इदरीस (अ:स)
पर
सलाम हो सलाम
हो नूह (अ:स)
पर अल्लाह ने जिन की दुआ क़बूल की
सलाम हो हूद
(अ:स)
पर जिन की मुराद अल्लाह ने पूरी की
सलाम हो सालेह
(अ:स)
पर जिन की अल्लाह ने अपने लुत्फ़ ख़ास से रहबरी की
सलाम हो इब्राहीन
(अ:स) खलील
पर जिन्हें अल्लाह ने अपनी दोस्ती के ख़िल'अत
से आ'रास्ता किया
सलाम हो फिदया-ए-राहे
हक़ इस्माइल (अ:स)
पर जिन्हें अल्लाह ने जन्नत से
ज़िबह-अज़ीम का तोहफा भेजा
सलाम हो इसहाक़
(अ:स)
पर जिन
की ज़ुर्रियत में
अल्लाह ने नबू'अत
क़रार
दी
सलाम हो याकूब
(अ:स)
पर जिन की बिनाई अल्लाह की रहमत से वापस आ गयी
सलाम हो युसूफ
(अ:स)
पर जो अल्लाह की बुज़ुर्गी के तुफैल कुंवे से रिहा हुए
सलाम हो मूसा
(अ:स)
पर जिन के लिए अल्लाह ने अपनी क़ुदरते ख़ास से दरया में
रास्ते बना दिए
सलाम हो हारुन
(अ:स)
पर
जिन्हें अल्लाह ने अपनी नबू'अत
के लिए मखसूस फरमाया
सलाम हो शु'ऐब
(अ:स)
पर जिन्हें अल्लाह ने उन की उम्मत पर नुसरत देकर
सरफ़राज़ किया
सलाम हो दावूद
(अ:स)
पर
जिन की तौबा क़ो अल्लाह ने शरफे- क़बूलियत अता किया
सलाम हो सुलेमान
(अ:स)
पर
जिन के सामने अल्लाह की इज़्ज़त के तुफैल जिनों ने
सर झुका
लिया
सलाम हो अय्यूब
(अ:स)
पर जिन क़ो अल्लाह ने बीमारी से शफ़ा दी
सलाम हो युनुस
(अ:स)
पर जिन के वादे क़ो अल्लाह ने पूरा किया
सलाम हो अज़ीज़
(अ:स)
पर जिन क़ो अल्लाह ने दुबारा ज़िंदगी अता की
सलाम हो ज़करया
(अ:स)
पर जिन्हों ने सख्त आज़्मा'इशों
में भी सबर
से काम
लिया
सलाम हो यहया
(अ:स)
पर जिन्हें अल्लाह ने शहादत से सर बुलंद किया
सलाम हो ईसा
(अ:स)
पर जो अल्लाह की रूह और इस का पैग़ाम हैं
सलाम हो मुहम्मद
मुस्तफा (स:अ:व:व) पर जो अल्लाह के हबीब और इस के मुन्तखिब
बन्दे हैं
सलाम हो अमीरुल
मोमिनीन हज़रत अली इब्न अबी तालिब (अ:स) पर
जिन्हें नबी (स:अ:व:व)
के क़ु'वते
बाजू होने का
शरफ़ हासिल
है
सलाम हो रसूल
की इकलौती बेटी फ़ातिमा (स;अ)
पर
सलाम हो इमाम
हुसैन (अ:स) पर जो अपने बाबा की
अमानतों के
रखवाले और
इनके जा'नशीन
हैं
सलाम हो हुसैन
(अ:स) पर जिन्हों ने इन्तेहाई ख़ुलूस से राहे ख़ुदा में जन
निसार कर
दी
सलाम हो इस
पर जिस ने खिल्वत व जलवत में
छिप कर आशकार अल्लाह की इता'अत
व बंदगी
की
सलाम हो इस
पर जिस की कब्र की मिटटी ख़ाके शिफ़ा है
सलाम हो इस
पर जिस के हरम की फ़िज़ा में
दुआएं क़बूल होती
हैं
सलाम हो इस
पर के
सिलसिले इमामत इस
की ज़ुर्रियत से
है
सलाम हो पेसर-ए-खत्मी
मर्ताबत (अ:स) पर
सलाम हो
सय्यद-ए-औसिया (अ:स)
के फ़र्ज़न्द पर
सलाम हो फातिमा
ज़हरा (स:अ) के बेटे पर
सलाम हो ख़दी'जतुल
कुबरा (स:अ)
के नवासे पर
सलाम हो सिदरतुल
मुन्तहा के वारिस-ओ-मुख्तार पर
सलाम हो जन्नतुल मावा के
मालिक पर
सलाम हो ज़मज़म
व सफ़ा वाले पर
सलाम हो उस
पर जो ख़ाक़ व खून में गलताँ हुआ
सलाम हो उस
पर जिसकी सरकार लूटी गयी
सलाम हो किसा
वालों की पांचवीं शख्सीयत
पर
सलाम हो सब
से बड़े परदेसी पर
सलाम हो सरवरे
शहीदां पर
सलाम हो उस
पर जो बे नंग-ओ-नाम लोगों के हाथों शहीद हुआ
सलाम हो कर्बला
में आकर बसने वाले पर
सलाम हो उस
पर जिस पर फ़रिश्ते रोये
सलाम हो उस
पर जिस की ज़ुर्रियत पर-ओ-पाकीज़ा है
सलाम हो दीं
के सय्यद-ओ-सरदार पर
सलाम हो उन
पर दलाएल-ओ-ब्राहीन की अमाज्गाह हैं
सलाम हो उन
पर जो सरदारों के सरदार इमाम हैं
सलाम हो चाक
गरीबानों पर
सलाम हो मुरझाये
हुए होटों पर
सलाम हो कर्ब-ओ-अंदोह
में घिरे हुए चूर-चूर नफूस पर
सलाम हो
उन रूहों पर जिन के जिस्मों क़ो धोके से
तहे तेग़
किया गया
सलाम हो बे
गोरो-कफ़न लाशों पर
सलाम हो ईन
जिस्मों पर धुप कि शिद्द्त से
जिन के रंग बदल गए
सलाम हो खून
की ईन धारों पर जो कर्बला के दामन में जज़्ब हो गयीं
सलाम हो बिखरे
हुए अज़ा पर
सलाम हो ईन
सरों पर जिन्हें नेजों पर बुलंद किया गया
सलाम हो उन
मुखद'देराते
इस्मत पर जिन्हें बे-रिदा फिराया गया
सलाम हो दोनों
जहानों के
पालनहार की
हुज्जत पर
सलाम हो आप
पर और आप के पाक-ओ-पाकीज़ा आबा-ओ-अजदाद पर
सलाम हो आप
पर और आप के शहीद फ़रज़न्दों पर
सलाम हो आप
पर और आपकी नुसरत करने वाली ज़ुर्रियत पर
सलाम हो आप
पर और आप के क़ब्र के मुजाविर फ़रिश्तों
पर
सलाम हो इन्तेहाये
मज़लूमियत के साथ क़त्ल होने वाले पर
सलाम हो आप
के,
ज़हर
से शहीद होने वाले भाई पर
सलाम हो अली
अकबर (अ:स) पर
सलाम हो कमसिन
शीरख़ार पर
सलाम हो ईन
नाजनीन जिस्मों पर जिन पर कोई कपड़ा नहीं रहने दिया गया
सलाम हो आप
के दर-बदर किये जाने वाले ख़ानदान पर
सलाम हो उन लाशों
पर जो सहराओं में बिखर गयी
सलाम हो उन
पर जिन से ईन का वतन छुड़ाया गया
सलाम हो उन
पर जिन्हें बगैर कफ़न के दफनाना पड़ा
सलाम हो उन
सरों पर जिन्हें जिस्मों से जुदा कर दिया गया
सलाम हो उस
पर जिस सब्र-ओ-शकेबाई के साथ अल्लाह की राह में जान कुर्बान की
सलाम हो उस
मज़लूम पर जो बे यारो मददगार था
सलाम हो पाक-ओ-पाकीज़ा ख़ाक़
में बसने वाले पर
सलाम हो
बुलंद-ओ-बाला क़ाभ:
वाले पर
सलाम हो उस
पर जिसे ख़ुदाए बुज़ुर्ग-ओ-बरतर ने
पाक किया
सलाम हो उस
पर जिसकी खिदमत गुज़ारी पर जिब्रील क़ो नाज़ था
सलाम हो उस
पर जिसे मीकाईल ने गहवारे में लोरी दी
सलाम हो उस
पर जिसके दुश्मनों ने उसको और उसके अहले हरम के सिलसिले में अपने
अहद-ओ-पैमान क़ो तोड़ा
सलाम हो उस
पर जिसकी हुरमत पामाल हुई
सलाम हो जिस
का खून ज़ुल्म के साथ बहाया गया
सलाम हो ज़ख्मों
से नहाने वाले पर
सलाम हो उस
पर जिसे प्यास की शिद्द्त में नोके सिना के तल्ख़ घूँट
पिलाए गए
सलाम हो उस
पर जिसको ज़ुल्म-ओ-सितम का निशाना भी बनाया गया और उसके ख्याम के
साथ उसके लिबास क़ो लूट लिया गया
सलाम हो उस
पर जिसे इतनी बड़ी काएनात
में यको-तन्हा छोड़ दिया
गया
सलाम हो उस
पर जिसे यूँ उरयाँ छोड़ा गया जिसकी मिसाल नहीं मिलती
सलाम हो उस
पर जिसके दफ़न में बादियाह नशीनों ने हिस्सा लिया
सलाम हो उस
पर जिस की शह'रग
काटी गयी
सलाम हो दीं
के इस हामी पर जिस ने बगैर किसी मददगार के दिफायी जंग लड़ी
सलाम हो इस
रेश अक़दस पर जो खून
से रंगीन हुई
सलाम हो आप
के ख़ाक़ आलूद रुखसारों पर
सलाम हो लूटे
और नुचे हुए बदन पर
सलाम हो इस
दन्दाने मुबारक पर जिस के छड़ी से बे'हुर्मती
की गयी
सलाम हो कटी
हुई शह'रग
पर
सलाम हो नीजे
पर बुलंद किये जाने वाले सरे अक़दस पर
सलाम हो ईन
मुक़द्दस जिस्मों पर जिन के टुकड़े सहरा में बिखर गए
(1)
(1)
यहाँ ऐसे मसाएब का ज़िक्र है जिसके तर्जुमे से दिल लरज़ता
है (अनुवादक)
आक़ा ! हमारा
सलामे न्याज़ो अदब क़बूल
फरमाइए,
नीज आप
(अ:स) के
क़ुबह के
गिर्द पर्वानावार फ़िदा होने
वाले,
आप (अ:स) की तुर्बत क़ो
हमेशा घेरे
रहने वाले,
आप
(अ:स)
की ज़रीह-ए-अक़दस का हमेशा तवाफ़ करने
वाले और आप की ज्यारत के
लिए आने
वाले
फ़रिश्तों पर
भी हमारे सलाम निछावर हों!
आक़ा ! मै
आप (अ:स) के हुज़ूर में सलामे शौक़ का हदिया लिए कामयाबी-ओ-कामरानी की आस
लगाए हाज़िर हुआ हूँ!
आक़ा ! ऐसे
गुलाम का
अकीदत से भरपूर सलाम
क़बूल कीजिये जो
आप (अ:स) की इज़्ज़त-ओ-हुरमत
से आगाह, आप
की विलायत में
मुख्लिस,
आप
की मुहब्बत के
वसीलह से अल्लाह के
तक़र्रुब का
शैदा नीज़
आप के दुश्मनों से बरी-ओ-बेज़ार है!
आक़ा ! ऐसे
आशिक़ का सलाम क़बूल फरमाइए जिस का दिल आप की मुसीबतों के
सबब ज़ख्मों
से
छलनी हो चूका
है और आप की याद में खून के आंसू बहाता
है
आक़ा ! इस
चाहने वाले का आदाब क़बूल कीजिये जो आप के ग़म में निढाल,
बेजान और बेचैन
है
आक़ा ! इस
जाँ-निसार का हदिया-ए-सलाम क़बूल कीजिये जो अगर कर्बला में आप के साथ
होता
तो आप की हिफाज़त के लिये
तलवारों
से टकरा कर अपनी जान की बाज़ी लगा देता! दिलो-जान
से आप पर फ़िदा होने के लिये मौत से पंजा आज़माई करता,
आप के सामने जंगो-जिहाद
के
जौहर दिखाता,
आप के ख़िलाफ बग़ावत
करने वालों के मुक़ाबले में आप की मदद करता,
और
अंजाम कार अपना जिस्मो-जान,
रूहो-माल,
और आल और
औलाद सब कुछ आप
पर कुर्बान कर
देता!
आक़ा ! इस
जाँ-निसार का सलाम क़बूल कीजिये,
जिस की रूह आप की रूह पर फ़िदा और इस के
अहलो-याल आपके अहलो-याल
पर तसदीक़
मौला! मै वाक़या-शहादत के
बाद पैदा हुआ,
अपनी क़िस्मत के
सबब मै हुज़ूर
(स:अ:व:व)
की नुसरत से
महरूम रहा, आप
के सामने मैदाने कारज़ार
में उतरने वालों में
शामिल न हो
सका,
और न ही मै
आपके दुश्मनों से नब्रो-आज़्मा हो
सका!
लिहाज़ा!अब मै कमाले हसरतो अंदोह के
साथ आप पर टूटने वाले मसा'येबो
आलाम पर
अफ़्सोसो-मलाल और तपिशे रंजो-ग़म
के सबब सुबहो शाम मुसलसल गिरया-ओ-ज़ारी
करता
रहूँगा
नीज़!आप
के खून की जगह इस
क़दर खून
के आंसू बहाऊंगा की
अंजामे कार ग़मो-अंदोह की
भट्टी और
मुसीबतों के लपकते हुए
शोलों में
जल कर खाकस्तर हो जाऊं और
यूँ आप के
हुज़ूर अपनी जाँ के नजराना पेश कर
दूँ!
आक़ा ! मै
शहादत देता हूँ
की :आप ने नमाज़ क़ायेम करने
का हक़ अदा फ़रमाया,
ज़कात अदा की,
नेकी का हुक्म दिया,
बुराई और दुश्मनी से
रोका, दिलो
जान से अल्लाह की अता'अत की,
पल भर के
लिये भी इस
की ना फ़रमानी
नहीं की,
अल्लाह और इसके रस्सी
से यूँ वाबस्ता रहे के
इस की
रज़ा हासिल
कर ली,
हमेशा इस के काम की निगाह'दाश्त
व पासबानी करते रहे,
इस की आवाज़
पर लब्बैक कही, इस
की सुन्नतों क़ो
क़ायेम किया, फ़ितनों की
भड़कती हुई
आग क़ो
बुझाया, लोगों क़ो
हक़-ओ-हिदायत की
तरफ बुलाया, ईन
के लिये हिदायत के रास्तों क़ो
रौशन व
मुनव्वर करके वाज़ेह
किया,
नीज़ आप ने अल्लाह के रास्ते में
जेहाद करने
का
हक़ अदा कर दिया!
आक़ा ! मै
दिलो जान से गवाही देता
हूँ की:आप हमेशा दिल से अल्लाह के फर्माबरदार हैं,
आप ने हमेशा अपने जददे-अमजद
(स:अ:व:व)
की इत्तेबा
और पैरवी
की,
अपने वालिदे माजिद
के इरशादात क़ो सुना और
इस पर
अम्ल किया, भाई की
वसीयत की तेज़ी से
तकमील की,
दीं के सतून क़ो बुलंद किया,
बगावतों
क़ो चकना चूर किया और सरकशों और
बागियों की
सरकोबी की!
आप हमेशा उम्मत के नासेह बन कर रहे,
आप ने जाँ-सिपारी
की सख्तियों क़ो
सब्रो-तहम्मुल और बुर्द'बारी से
बर्दाश्त किया,
फ़ासिकों का जम कर मुक़ाबला फ़रमाया,
अल्लाह की हुज्जतों
क़ो क़ायेम किया,
इस्लाम और मुसलामानों की दस्तगीरी की हक़ की
मदद की,
आज़माइशों के मौक़ा पर
सब्रो शकेबाई से
काम लिया,
दीं की हिफाज़त की,
और इस
के दाएरा-ए-कार की
निगाहदाश्त फरमाई
आक़ा!मै अल्लाह
के हुज़ूर में गवाही देता हूँ की
:आप ने मीनारे हिदायत क़ो क़ायेम रखा,
अदल की नस्रो-इशा'अत
की,
दीं की मदद करके
इसे ज़ाहिर किया,
दीं के तज़हीक़ करने
वालों क़ो रोका, और
इन्हें क़रार-ए-वाक़ई
सज़ा दी, सिफ्लों
से शरीफों का
हक़ लेकर इन्हें
पहुंचाया, और
अदलो इंसाफ़
के मामले
में कमज़ोर और
ताक़तवर में
बराबरी राव रखी!
आक़ा!मै इस बात की भी गवाही
देता हूँ की :आप यतीमों के सरपरस्त और ईन के दिलों की बहार,
ख़लक़े ख़ुदा के
लिये बेहतरीन पनाहगाह,
इस्लाम की इज़्ज़त, अहकामे इलाही
का मख्ज़ंन और
इनामो-इकराम का
मादन,
अपने जददे अमजद और वालिदे माजिद के रास्तों पर चलने वाले, और
अपनी वसीयत
और
नसीहत में अपने भाई जैसे थे!
मौला !आप
(अ:स) की शानो सफ़ात यह हैं के आप (अ:स) "जिम्मेदारियों क़ो पूरा करने
वाले,
साहिबे औसाफ़
हमीदा, जूडो करम
में मशहूर,
शब् की तारीकीयों में
तहज्जुद गुज़ार,
मज़बूत तरीकों क़ो
अखत्यार करने वाले,
ख़लक़े
ख़ुदा में सबसे ज़्यादा खूबियों के
मालिक, अज़ीम
माज़ी के हामिल,
आला हस्बो-नसब
वाले,
बुलंद मरतबों और बे पनाह मूनाकिब
का मरकज़, पसंदीदा नमूने अमल के ख़ालिक़,
मिसाली ज़िन्दगी बसर करने
वाले,
बा'विक़ार,
बुर्दबार, बुलंद
मर्तबा,
दरया दिल,
दाना व
बीना, साहिबे
अज़्मो जज़म, ख़ुदा
शनास रहबर, खौफ़ो खशियत
और सोज़ो
तपिश रखने वाले,
ख़ुदा क़ो चाहने और
इस की बारगाह में सर देने वाले
आप
!रसूले अकरम (स:अ:व:व)
के फ़र्ज़न्द, क़ुरान
बचाने वाले,
उम्मत के
मददगार, इता'अते
इलाही में जफ़ाकश,
अह्दो मिसाक़ के पाबन्द व मुहाफ़िज़,
फ़ासिकों के
रास्ते से
दूर रहने वाले,
हसूले मक़सद
के लिये दिलो जाँ की बाज़ी लगाने
वाले,
और
तूलानी रुकू'अ
व सुजूद अदा करने वाले हैं!
मौला !आप ने दुन्या से
इस तरह मुंह मोड़ा और
यूँ बे-या'तनाई दिखाई जैसे
दुन्या से
हमेशा कूच करने
वाले करते
हैं,
दुन्या से खौफ़'ज़दः
लोग इसे देखते हैं,
आप की
तमन्नाएं और
आरज़ूएं दुन्या से हटी हुई थीं,
आप की हिम्मत-व-कोशिश इस
की ज़ीनतों से
बे नेयाज़ थीं,
और आप ने तो दुन्या
के चेहरे की तरफ़ कभी उचटती
हुई निगाह भी
नहीं
डाली!
अलबता !आख़रत
में आप की दिलचस्पी शःराए आफ़ाक़
है!
यहाँ
तक की, वो वक़्त आया, जब ________'जोरो सितम ने
लम्बे लम्बे दाग भर कर
सरकशी शुरू
कर दी,
ज़ुल्म तमाम तर हथ्यार जमा
करके सख्त जंग के लिये आमादा हो गया, और
बाग़ियों ने अपने
तमाम साथियों क़ो बुला भेजा!
उस वक़्त
'आप
'अपने
जड़ के हरम में पनाह
गुज़ीं,
जालिमों से
अलग थलग, मस्जिदे
मेहराब के साए
में लज़'ज़ात
और ख्वाहिशात से बेज़ार बैठे थे,
आप अपनी ताक़त और
इमकानात के
मुताबिक
दिलो ज़बान के
ज़रिये बुराइयों से
नफ़रत का इज़हार करते और लोगों क़ो बुराइयों से
रोकते थे!मगर____________'
फिर
आप के इल्म का तक़ाज़ा हुआ की आप खुल्लम खुल्ला बैयत
से इनकार कर दें और
फजार के
ख़िलाफ जेहाद के
लिये उठ खड़े हों,चुनान्चेह
आप अपने अहलो'याल,
अपने शीयों, अपने
चाहने वालों और जाँ-निसारों क़ो
लेकर
रवाना हो गए!
और अपनी
इस मुख़्तसर लेकिन बा'अज़्मो
हौसला जमा'अत
की मदद से,
हक़ और दलायेल व
ब्राहीन क़ो
अच्छी तरह
वाज़ेह कर दिया, लोगों
क़ो हिकमत और
मो'अज़'ज़े हुस्ना के
साथ अल्लाह
की तरफ़ बुलाया, हदूदे
इलाही के क़याम और अल्लाह की इता'अत
का
हुक्म दिया,
और लोगों क़ो ख़बा'इसो
बेहूदगीयों और
सरकशी से रोका!
लेकिन
लोग ज़ुल्मो सितम
के साथ आप के मुक़ाबले पर डट गए!
ऐसे आड़े वक़्त
पर भी'
आप (अ:स) ने पहले तो ईन क़ो ख़ुदा के गज़ब से डराया और ईन पर हुज्जत
तमाम की
और फिर इनसे जिहाद किया!
तब'
इन्होंने आप से किया हुआ अहद तोड़ा और
आप की बैयत से निकल कर आप के रब और
आप के जददे अमजद क़ो नाराज़ किया और
आप के साथ जंग शुरू कर दी!
लिहाज़ा!
आप भी मैदान कारज़ार में उतर
आये,
आप ने फज्जर के
लश्करों क़ो रौंद डाला, और
ज़ुल्फ़िकार सोंत
कर जंग के गहरे ग़ुबार
के बादलों में
घुस कर
ऐसे घमसान का
रन डाला
के लोगों क़ो अली (अ:स)
की जंग याद आ
गयी! दुश्मनों ने
आप की साबित क़दमी,
दिलेरी और
बे'बाकी देखि
तो ईन का
पत्ता पानी हो
गया और इन्हों ने मुक़ाबला के बजाये मक्कारी से
काम लिया और आप के
क़त्ल के
लिये फ़रेब के जाल बिछा दिए, और
मल'उन
उमर'साद
ने लश्कर क़ो हुकुम दिया
के
वोह आप
पर पानी बंद कर
दे और
तक पानी पहुँचने के
तमाम रास्तों की नाकाबंदी कर
दे! फिर
दुश्मन ने
तेज़ जंग
शुरू कर दी और आप पर पै-दर-पै हमले करने
लगा जिस के
नतीजे में इस ने आप कू तीरों
और नेजों से
छलनी कर दिया,
और इन्तेहाई दरिंदगी के
साथ
आप क़ो लूट लिया! इस ने न तो आप के सिलसिले में किसी अह्दो-पैमान की
परवा की
और न
ही आप के दोस्तों के क़त्ल और आप और आपके अहलेबैत (अ:स)
का सामान ग़ारत
के सिलसिले
में किसी गुनाह की फ़िक्र की!
और
आप ने मैदाने जंग
में सब से
आगे बढ़
कर
मसायेबो
मुश्किलात
क़ो यूँ झेला के
आसमान के
फ़रिश्ते भी
आप की सब्रो इस्ताक़ामत पर दांग रह गए !
फिर'
दुश्मन हर तरफ़ से आप पर टूट पड़ा,
इस ने आप क़ो ज़ख्मों से चूर चूर करके निढाल
कर दिया और दम लेने तक की फुर्सत न दी,
यहाँ तक की आप का कोई नासिरो मददगार बाक़ी न
रहा और आप इन्तेहाई सब्रो शकेबाई से सब कुछ देखते और
झेलते हुए यक्का-ओ-तनहा अपनी मुख़द'देराते
इस्मतो तहारत और
बच्चों क़ो
दुश्मनों के हमले से बचाने में मसरूफ़ रहे! यहाँ तक की दुश्मन ने आप क़ो
घोड़े से
गिरा दिया
और आप ज़ख्मों से पाश पाश जिस्म के साथ ज़मीन पर गिर पड़े फिर
वोह
तलवारें लेकर
आप पर पिल पड़ा और
उस ने घोड़ों के
सुमों से
आप क़ो पामाल कर
दिया! यह वोह
वक़्त था जब
आप की जबीने अक़दस पर
मौत का
पसीना आ
गया और रूह निकलने के
सबब आप का जिसमे नाज़नीन
दायें बाएं सिकुड़ने और
फैलने लगा!
अब आप
इस मोड़ पर थे
जहाँ इंसान
सब कुछ भूल जाता है,
ऐसे में आप ने अपने ख़याम
और घर की
तरफ़ आखरी बार हसरत
भरी निगाह डाली और आप का
अस्पे बावफ़ा तेज़ी से
हिनहिनाता और
रोता हुआ
सुनानी सुनाने के
लिये ख़याम की तरफ़
रवाना हो गया!
जब मुख़द'देराते
इस्मतो तहारत
ने आप के दुलदुल क़ो ख़ाली और आप की जीन क़ो
उलटा हुआ देखा तो
एक कोहराम
मच गया
और वोह ग़म की
ताब न
लाते हुए
खैमों से निकल
आयीं! इन्होंने अपने बाल चेहरों पर
बिखरा लिये
और अपने रुखसारों पर तमांचे
मारते हुए
अपने बुजुर्गों क़ो
पुकार पुकार कर नौहा-ओ-गिरया शुरू
कर दिया,
क्योंकि अब
इस संगीन सदमे के
बाद ईन
क़ो इज़्ज़त-ओ-एहतराम की
निगाहों से
नहीं देखा
जा रहा
था और सब के सब ग़म से निढाल आप की शहादतगाह
की तरफ़ जा रहे थे!
अफ़सोस!
शिमर मल'उन
आप के सीने पर
बैठा हुआ,
आप के गुलूये मुबारक
पर अपनी तलवार रखे
हुए था,
वोह कमीना आप
के रेशे-अक़दस क़ो
पकडे हुए
अपनी कुंद तवार
से आप क़ो
ज़िबह कर
रहा था!
यहाँ तक की -आप के होशो हवास
साकिन
हो गए,
आप की सांस मधिम पड़
गयी, और
आप का पाको पाकीज़ा
सर नैज़े पर बुलंद कर दिया गया! आप के अहलो'याल
क़ो गुलामों और कनीज़ों की तरह क़ैद
कर लिया गया और ईनक़ो आहनी जंजीरों में
जकड कर
इस तरह बे-कजावा ऊंटों पर
सवार कर
दिया गया के दिन की बे-पनाह गर्मी ईन
के चेहरों क़ो झुलसाये दे
रही थी! बे-ग़ैरत
दुश्मन ईन क़ो जंगलों और ब्याबानों में ले जा
रहा था और इनके नाज़ुक हाथों
क़ो गर्दनों के
पीछे सख्ती
से बाँध कर गलियों और
बाज़ारों में
इनकी नुमाइश कर
रहा
था!
लानत हो
इस फ़ासिक़ गिरोह पर'
जिस ने आप क़ो क़त्ल करके इस्लाम क़ो क़त्ल और नमाज़ रोज़ा क़ो
मु'अत्तल कर
दिया,
अहकामे इलाही की नाफ़रमानी की,
ईमान की बुन्यादों क़ो
हिला दिया,
आयाते क़ुरानी में
तहरीफ़ की,
और बग़ावत व
दुश्मनी की
दलदल में धंसता ही
चला गया!
आप की शहादत पर अल्लाह का रसूल (स:अ:व:व) दर्द बन
गया,
किताबे ख़ुदा
का कोई
पूछने वाला
न रहा,
आप पर जफ़ा करने
वालों का हक़ से रिश्ता टूट गया,
आप के उठ जाने
से
____
तक्बीरो तहलील,
हरामो हलाल, तनज़ीलो तावील पर
परदे पड़ गए!
इस के अलावा _____
आप के न होने से,
दीं में क्या क्या बदला गया! कैसे कैसे
बदलाव अमल
में लाये गए,
मुल्हिदाना नज़रियों
क़ो फ़रोग़ मिला,
अहकामे
शरियत मु]अत्तल
किये गए,
नफ़सानी ख्वाहिशों की गिरफ्त मज़बूत हुई,गुमराहियों
ने ज़ोर
पकड़ा, फ़ितनों ने
सर उठाया,
और बातिल की बन आई!फिर हुआ यह की नौहागरों
ने आप के जददे अमजद के
मज़ार पर
आहो बुका
और गिरया-ओ-ज़ारी के साथ यूँ
मर्सिया खानी
की -
अल्लाह के रसूल (स:अ:व:व) !आप का बेटा,
आप का नवासा क़त्ल
कर डाला गया,
आप का घर लूट लिया गया,
आप की
ज़ुर्रियत असीर हुई,
आप की इतरत पर बड़ी उफ्ताद पड़ी!
यह सुन कर पैग़म्बर क़ो
बहुत सदमा
पहुंचा, इनके
क़ल्बे तपाँ ने खून के
आंसू
बरसाए,
मलाएका ने
इन्हें पुरसा दिया,
अम्बिया ने ताज़ियत की,
और मौला !आप
की मादरे गिरामी जनाबे फ़ातिमा ज़हरा (स:अ)
पर क़यामत टूट पड़ी !मलाएका क़तार
दर क़तार आप के वालिदे गिरामी (स:अ:व:व) के हुज़ूर ताज़ियत के
लिये आये, आला अलैय्याँ
में सफ़े मातम बिछ
गयी,
हूरें अपने
रुखसारों पर
तमांचे मार
मार कर निढाल हो गयी आसमान और आसमानी मख्लूक़,
जन्नत और
जन्नत के
दरो दीवार,
बुलंदियों और
पस्तियों,
समुन्दरों और
मछलियों,
जन्नत के खुद्दाम व
सुक्कान,
ख़ाना-ए-काबा और मुक़ामे इब्राहीम,
मुश'अर हराम और
हल्लो अहराम सब
ने मिल
कर आप की मुसीबत पर
खून के आंसू बहाए !
बारे इलाहा !इस
बा'बरकत और
बा-इज़्ज़त जगह के तुफ़ैल,
मुहम्मद (स:अ:व:व) और आले
मुहम्मद (अ:स)
पर दरूद भेज,
मुझे ईन
के साथ महशूर फ़रमा और इनकी शिफ़ाअत के
सबब मुझे
जन्नत अता
कर
बारे इलाहा
!ऐ जल्द हिसाब
करने वाले,
ऐ सबसे करीम
हस्ती,
और ऐ सबसे बड़े हाकिम
- !
मै तेरी बारगाह
में !तमाम जहानों
की तरफ़ तेरे
रसूल और
आखरी नबी हज़रत मुहम्मद
मुस्तफा (स:अ:व:व) ईन
के भाई इब्ने अम,
तवाना बाज़ू और दानिशो आगही के मरकज़ अमीरुल
मोमिनीन अली
इब्ने अबी तालिब (अ:स) - तमाम जहानों की ख्वातीन की सरदार हज़रत
फ़ातिमा ज़हरा
(स:अ)
- परहेज़गारों
के मुहाफ़िज़ इमाम
हसन ज़की (अ:स) - शोहदा के
सय्यादो सरदार
हज़रत अबी अब्दुल्लाह-उल-हुसैन (अ:स)
और इनकी मक़तूल औलाद और
मज़लूम इतरत -
आबिदों की
ज़ीनत हज़रत अली इब्ने हुसैन (अ:स) - जो याये हक़ लोगों के
मरकज़ तवज्जह हज़रत
मुहम्मद बिन अली (अ:स)
- सब से बड़े सादीक़-उल-कौल हज़रत जाफ़र बिन मुहम्मद (अ:स) -
दलीलों क़ो ज़ाहिर करने वाले हज़रत मूसा इब्ने जाफ़र (अ:स) - दीं के
मददगार हज़रत
अली
इब्ने मूसा (अ:स) - पैरोकारों के रहनुमा हज़रत
मुहम्मद बिन
अली (अ:स) - सब से बड़े
पारसा हज़रत
अली बिन मुहम्मद (अ:स) - और सिलसिले नबू'अत
और इमामत के
तमाम बुज़ुर्गों
के वारिस और
ऐ अल्लाह ! तेरी तमाम मख्लूक़ पर
तेरी हुज्जत (1)
का वास्ता देता
हूँ की :
तू मुहम्मद (स:अ:व:व) व आले मुहम्मद (अ:स) जो आले ताहा व यासीन भी हैं और
सच्चे और
नेको कार भी
---- दरूदो रहमत नाज़िल फ़रमा और
मुझे रोज़े क़यामत इन
लोगों में शामिल फ़रमा
ले जिन
क़ो ईन क़ो अमनो इत्मीनान
हासिल होगा और
वो इस परेशानी वाले दिन भी
ख़ुशो ख़ुर्रम होंगे और
जिन्हें जन्नत
रिज़वान की ख़ुश'ख़बरी
सुनायी जाएगी!
बारे
इलाहा !ऐ अर्हमर राहेमीन!अपनी रहमत
के सदके में मेरा नाम
मुसलामानों के
फेहरिस्त में लिख
ले,
मुझे
सालेह और नेकोकार लोगों
में शामिल फ़रमा ले,
मेरे पस्मंद्गान और बाद वाली नस्लों
में मेरा ज़िक्र सच्चाई और
भलाई के
साथ जारी रख, बाग़ियों के
मुक़ाबले में
मेरी नुसरत
फ़रमा,
हसद करने वालों के कीदो-शर
से मेरी हिफाज़त मरमा, जालिमों
के हाथों क़ो
मेरी जानिब बढ़ने
से रोक दे,
मुझे आला अलियीं
में बा-बरकत पेशवाओं और
अ-इम्मे अहलेबैत (अ:स)
के जवार में ईन
अम्बिया, सिददी'क़ीन,
शोहदा,
और सालेहीन के
साथ जमा कर
जिन पर तुने अपनी
नेमतें नाज़िल
फरमाईं हैं!
परवरदिगार !तुझे क़सम
है' तेरे
मासूम नबी की,
तेरे हतमी एहकाम की,
तेरे मुक़र'रेरह
मुनाह्य्यात की,
और
इस पाको पाकीज़ा क़ब्र की
जिसके पहलू में मासूम
मक़तूल और मज़लूम इमाम दफ़न
हैं!के
'तू
मुझे दुन्या के
ग़मों से
नजात अता
फ़रमा,
मेरे मुक़द'दर
की बुराई और
शर क़ो
मुझ से
दूर कर
दे और मुझे ज़हरीली आग
से बचा
ले!
बारे इलाहा !तू अपनी नेमत के तुफैल मुझे
इज़्ज़त-ओ-आबरू मोरहमत
फ़रमा,
मुझे अपनी तक़सीम की
हुई रोज़ी पर राजी रख,
मुझे अपने करम और
जूदो सखा
से ढांप ले
और मुझे अपनी नागवारी और नाराज़गी से महफूज़ फ़रमा दे!
परवरदिगारा !ना-अज़ेशों से मेरी हिफाज़त फ़रमा,
मेरे कौलो अमल क़ो दुरुस्त करदे,
मेरी
मुददत-ए-उम्र क़ो बढ़ा दे,
मुझे दर्दो अमराज़
से आफ़ियत अता फ़रमा दे,
और मुझे
अ'इम्मा (अ:स)
के सदके और
अपने फ़ज्लो करम
के तुफ़ैल बेहतरीन उम्मीदों तक पहुंचा दे
ख़ुदावंदा !मुहम्मद (स:अ:व:व) व आले मुहम्मद (अ:स) पर दरूद नाज़िल फ़रमा,
मेरी तौबा
क़बूल फ़रमा
ले,
मेरे आंसूओं पर
रहम फ़रमा,
मेरी तकलीफों और
रंजो ग़म में मेरा
मोनीसो ग़मख़ार
बन जा,
मेरी खताएं माफ़ फ़रमा
दे,
और मेरी औलाद क़ो नेको-सालेह
बना
दे
रब्बे जलील!इस
अज़ीम बारगाह
और बा-करामत मुक़ाम
पर मेरे तमाम गुनाह बख्श दे,
,मेरे
सारे
ग़म दूर करदे,
मेरे रिजक में वुस'अत
अता फ़रमा मेरी
इज़्ज़त क़ो क़ायेम रख,
बिगड़े हुए कामों क़ो संवर
दे,
उम्मीदों क़ो पुर कर
दे,
दुआएं क़बूल
फ़रमा ले,
तंगियों से निजात अता फ़रमा,
मेरी परेशान हाली क़ो दूर
करदे,
जो काम मेरे जिम्मे हैं उन्हें मेरे ही हाथों मुकम्मल करवा दे,
मालो-दौलत
में कसरत
अता फ़रमा,
अखलाक़ अच्छा कर,
जो कुछ तेरी राह में ख़र्च
करून उसे
क़बूल
फ़रमा के इसे मेरे लिये ज़खीरा-ए-आख़ेरत बना दे,
मेरे हालत क़ो
रौशन व
ताबिंदा कर,
मुझ से हसद करने वालों क़ो नेस्तो-नाबूद फरमा,
दुश्मनों क़ो हालाक
करदे,
मुझे हर शर
से महफूज़ रख,
हर मर्ज़ से शिफ़ा दे,
मुझे अपने क़ुरबो-रज़ा की बुलंद तरीन
मंजिलों तक
पहुंचा दे,
और मेरी तमा आरज़ूएं पूरी
फरमा दे !
रब्बे करीम !मै तुझ से जल्दी
मिलने वाली भलाई और पायेदार सवाब का
ख्वाहाँ हूँ !
मेरे अल्लाह !मुझे इस क़द्र फ़रावानी से हलाल नेमतें
अता फरमा की मुझे हराम की
तरफ़
जाने
की फ़ुर्सत न
मिले और मुझ पर इतना फ़ज्लो
करम कर के मै तमाम मख्लूकात से
बेनेयाज़ हो
जाऊं !
मेरे पालनहार!मै तुझ से नफा बख्श
इल्म,
तेरी जानिब झुकने
वाले दिल,
पुख्ता ईमान
पाकीज़ा और
मुखलिसाना अमल,
मिसाली सबर,
और बे पनाह अजरो सवाब
का तलबगार हूँ!
मेरे अल्लाह !तुने मुझ पर जो फ़रावान नेमतें
नाज़िल फरमाईं हैं तुही मुझे
ईन के बारे में
अपने शुक्रो सिपास की
तौफीक़ अता
फ़रमा और इस के नतीजे में
मुझ पर अपने एहसानों
करम में इज़ाफ़ा फ़रमा ! लोगों के दरम्यान मेरे
कौल में
तासीर अता
कर,
मेरे अमल क़ो
अपनी बारगाह में बुलंदी अता फ़रमा,
मुझे ऐसा बना
दे के मेरी नेकियों की
पैरवी की
जाने लगे और मेरे दुश्मन क़ो
तबाहो बर्बाद कर दे!
ऐ जहानों के पालनहार !तुने अपने बेहतरीन बन्दों यानी मुहम्मद
(स:अ:व:व) व आले मुहम्मद (अ:स) पर शबो
रोज़ अपनी
रहमतें और
दरूद नाज़िल फ़रमा,
और मुझे बुरों की शर
से महफूज़ कर दे,,
गुनाहों से पाक फ़रमा
दे,
मेरे बोझ उतार दे,
मुझे सुकून व
क़रार की जगह यानी
जन्नत
में जगह दे! और मुझे और मोमिनों मोमिनात में |