ईमाम अली (अ:स) : इनके काबे का जन्म हर साल ताज़ा हो जाता है!

अब्दुल अली द्वारा लिखित, सैय्यद जाफ़र नकवी द्वारा अनुवादित

अल-ईमाम अली इब्ने अबी तालिब (अ:स), जो पैग़म्बर के दामाद, इनके चचेरे भाई और पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद बोन अब्दुल्लाह (स:अ:व:व) के बाद पहले मासूम जानशीन और वसी (उत्तराधिकारी) हैं, उनका जन्म 13 रजब क़ो सउदी अरब के शहर मक्का में अल्लाह के पवित्र घर काबा में हुआ! इनकी माँ फ़ातिमा बिन्ते असद (स:अ) क़ो उनके प्रसव के अंतिम समय में काबा में बुलाया गया और जब वो काबा के दीवार से सत कर खड़ी हुई तो काबे की दीवार अपने आप बीच से दो भागों में हो गयी और अल्लाह के हुकुम से वो काबे के अन्दर चली गयीं! वहीँ ईमाम अली (अ:स) का जन्म हुआ और वो काबे में तीन दिन तक अल्लाह की मेहमान बन कर रहीं! तीन दिन के बाद वो काबा के बाहर आयीं और उनकी गोद में ईमाम (अ:स) थे!

हर साल, 13 रजब क़ो, यह दरार नयी हो जाती है जो ईस चमत्कार क़ो ताज़ा करती है! कई सदियों से सउदी हुकूमत ईस दरार क़ो भरने के हर प्रकार से कोशिश कर चुकी है, लेकिन हमेशा असफल रही है!
 

डॉ. तारिक़ अल-कातिब जिनको उस कमिटी में सम्मिलित किया गया था जो काबा के अन्दर गयी थी, ताकि उस दरार क़ो भरा जा सके जो हर साल ताज़ा हो जाती है! डॉ अल-कातिब का कहना है की काबा के अन्दर से यह दरार देखने पर बिलकुल साबित हो जाता है की काबा में फ़ातिमा बिन्ते असद (स:अ) आयीं थीं और बाहर भी इसी रास्ते से गयीं थीं! 

 

नीचे ईस दरार की फ़ोटो रिपोर्ट है:

 


            

     

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